नई दिल्ली । महीनों चले आंदोलन और बवाल के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है। 29 नवंबर से आरंभ हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में तीनों कानूनों को वापस लिया जाएगा। इस बीच यह सुनने में आया है कि सरकार संसद में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को आरंभ करने से पहले इस पर चर्चा का प्रस्ताव दे सकती है। हालांकि, सरकार के इस प्रस्ताव पर संसद में घमासान मचना निश्चित है। आने वाले संसद सत्र में करीब 20 बैठकें होंगी। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयकों को मंजूरी दिए जाने पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विचार किए जाने की संभावना है ताकि उन्हें संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सके।
केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को संवैधानिक तौर पर निरस्त करने से पहले संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश कर सकती है। सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार संसद में कृषि कानूनों पर छोटी चर्चा का प्रस्ताव दे सकती है। साथ ही सरकार ये समझाने के प्रयास भी करेगी कि आखिर इन कानूनों को वापस क्यों लिया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर संसद में कृषि कानूनों को निरस्त करने से पहले यह बताएंगे कि इन कानूनों को वापस लिए जाने के पीछे क्या कारण है और क्यों सरकार को इसे निरस्त करने का निर्णय करना पड़ा। इसके बाद इन कानूनों को संसद से निरस्त कर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा। अगर सरकार इस पर चर्चा करती है तो 29 नवंबर से आरंभ होकर 23 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में बवाल होना तय है। विपक्ष इस पर चर्चा से बचना चाहेगा और चाहेगा कि बिना किसी बहस के इसे सीधे तौर पर निरस्त किया जाए।