नई दिल्ली । सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवार वालों को मदद राशि देने से मना कर दिया है। विपक्ष ने किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार वालों को वित्तीय मदद देने की मांग की थी, जिस पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि आंदोलन में हुईं मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है इसलिए मदद नहीं जा सकती। सरकार ने कहा, ‘कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए इसका सवाल ही नहीं उठता है।’
विपक्ष के नेताओं और विरोध कर रहे किसान संघों ने कहा है कि केंद्र के 3 विवादास्पद कृषि कानूनों के विरूद्ध महीनों से चल रहे प्रदर्शनों के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। किसान संगठन निरंतर मृतक किसानों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने ‘आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को वित्तीय मदद और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी पर चर्चा’ की मांग की थी और सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया था। सरकार का इसी पर जवाब आया है।
विपक्षी दलों ने भी पहले ही कहा था कि वो कानून वापस लेने में देरी और आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का मुद्दा भी सदन में उठाएंगे। कांग्रेस ने कोरोना से होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या पर बहस का अनुरोध किया था। कांग्रेस ने मांग की थी कि इस महामारी से अपनों को खोने वाले गरीब परिवारों को 4.4 लाख रुपये की मदद राशि दी जाए।