मेरठ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पक्ष विपक्ष अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं, जहां भाजपा 300 पार का दावा कर रही है, वहीं गठबंधन 400 का ताल ठोकते हुए दिखाई दे रहा है। लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के एक फैसले पर राजनीतिक विशेषज्ञ सवाल उठाते हुए नजर आ रहे हैं।
आपको बता दें कि 07 दिसंबर 2021 को मेरठ में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल द्वारा की गठबंधन की परिवर्तन रैली आयोजित की गई थी। इस दौरान राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भांजे प्रभुद्ध कुमार को रोलद में शामिल किया था, जिसके बाद से ही राजनीतिक विशेषज्ञ उनके इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहें हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2017 में प्रभुद्ध कुमार ने भारतीय बहुजन परिवर्तन पार्टी से मेरठ दक्षिण विधानसभा की सीट से चुनाव लडा था, जिसमे उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था, तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने किस सोच के साथ प्रभुद्ध कुमार को पार्टी में शामिल किया है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रभुद्ध कुमार को पार्टी में शामिल करने का फैसला गलत बताया जा रहा है। उनका कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रभुद्ध कुमार को पार्टी में शामिल करने का फैसला जयंत चौधरी को भारी पड़ सकता है।
आपको बता दें कि प्रभुद्ध कुमार ने 2017 के चुनाव में मेरठ दक्षिण विधानसभा से BBPP से चुनाव लडा था, जिसने उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। मेरठ दक्षिण विधानसभा में 3,54,863 मतदाता हैं, जिसमे से प्रभुद्ध कुमार को मात्र 276 वोट हासिल हुए थे। इसी वजह से प्रभुद्ध कुमार को राष्ट्रीय लोकदल में शामिल करने पर जयंत चौधरी सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं।